ये 15 तस्वीरें दर्शाती हैं कि कितना बदल गया है 'इंसान
ये गाना गीतकार प्रदीप ने आज से करीब 50 साल पहले लिखा था। इस गाने को सुनकर ये कहना गलत होगा कि इंसान आज के समय में बदलने लगा है। इंसान तब भी उतनी ही तेजी से बदल रहा था, बस फर्क था तो ये कि तब सोशल मीडिया नहीं था। तब इंसान खुलकर कई सारी बातें नहीं कह पाता था मगर अब कह पाता है। अब इंसान का असली चेहरा और उसके इमोशंस दुनिया को साफ नजर आने लगे हैं।
इंसान का आज के समय का असली चेहरा और इमोशंस एक Illustration आर्टिस्ट Gunduz Aghayev ने अपने आर्ट के जरिये बताने की कोशिश की है। Gunduz द्वारा बनाई गई ये तस्वीरें काफी समय तक आपके जेहन में बरकरार रहेंगमीडिया का सच
पहले मीडिया वही दिखाती थी जो सच होता था। मगर अब वो दिखाती है जो देश के दिग्गज चाहते हैं।
हम बन गए हैं जानवर
हम बन गए हैं जानवर
आज हमारा अंदाज भी किसी जानवर से कम नहीं रहा है। तभी तो जो गिनती के जानवर बच गए हैं, हम उनसे भी अपनी भूख मिटाना चाहते हैं।
गोली वो खाते हैं खुशी हम मनाते हैं
हमारे ना जाने कितने जवान सरहद पर दुश्मन के सैनिकों को मार गिराने की कोशिश में जान गँवा बैठते हैं मगर हम उनकी मौत का शोक मनाने की जगह दुश्मन के मारे जाने की खुशी मनाते हैं।
नियम कायदे नहीं बचा पाते किसी की जान
दुनिया के तमाम नियम कायदे मिलकर भी एक इंसान की जान नहीं बचा पाते। हर दिन एक इंसान दूसरे इंसान की जान लेता है और लोग तमाशा देखते रह जाते हैं।
फेसबुक में डूब रहे हैं हम
आज हम अपनी असल दुनिया को छोड़कर फेसबुक पर जीने लगे हैं। हमें इस बात की खबर भी नहीं है कि हम इसके चक्कर में अपना कितना नुकसान कर रहे हैं।
ना जाने कब इसे हमारा समाज स्वीकार पाएगा
समलैंगिकता को भले ही सरकार ने मंजूरी दे दी हो मगर हमारा समाज आज भी इसे पाप की तरह ही देखता है। ना जाने कब वो दिन आएगा जब लोग इसे साधारण तरीके से देखेंगे
करते हैं कब्र में जाने का इंतजार
एक वक्त बाद कुछ लोगों को उनके पेरेंट्स किसी बोझ की तरह लगने लगते हैं और वो उनके कब्र में पहुँचने का इंतजार करते रहते हैं।
टेंशन कैसे कम हो
आजकल फिजिट स्पिनर लोगों के बीच काफी पॉपुलर हो रहा है। ऐसा माना जाता है कि ये टेंशन को कम करता है। ये वाकई टेंशन को कितना कम करता है ये तो टेंशन लेने वाले और इसे इस्तेमाल करने वाले अच्छी तरह से जानते हैं।
आँख मूँद कर खेल रहे हैं हम धरती से
आँख मूँद कर हम अपनी धरती के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस बात से हम अनजान हैं कि आगे जाकर हमें इसके कितने गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
सोशल मीडिया के बाहर भी है दुनिया
हम सोशल मीडिया पर ही अपनी जिंदगी जी लेते हैं मगर इसके बाहर भी दुनिया है।
अब हर चीज में होती है सेंसरशिप
चाहे फिल्म हो या न्यूज अब हर चीज में सेंसरशिप होती है।
ऐसा होगा कल
दो देशों के बीच हमेशा से लड़ाई होती आई है। मगर आगे जो लड़ाई होगी, उसमें परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाएगा जो हमारा कल ऐसा बना देगा।
जो जैसा दिखता है वैसा नहीं होता
आज बिना लालच के इंसान कुछ नहीं करना चाहता। लालच हम पर किस तरह भारी पड़ सकता है, आप ये तस्वीर देखकर समझ सकते हैं।

बच्चे यही चाहते हैं
दिखावे का जमाना है भाई
सोशल मीडिया का ये जमाना पूरी तरह से दिखावे का है। 'बिहाइंड द सीन्स' क्या चलता है, ये बहुत ही कम लोग जान पाते हैं।
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